गुरुवार, 7 जून 2018

बह चले यह नयन निर्झर

आज फिर स्मृति तुम्हारी
क्यों सताती विकल होकर
उधर प्राची से उठे हैं
श्याम गहन संदेश लेकर
गए उठा पागल पपीहा
प्रणय के भूले फ़साने
बज उठे सुन मधुर रिमझिम
हृदय के कम्पित तराने
देख स्वनिल छवि तुम्हारी
बह चले यह नयन निर्झर
@मीना गुलियानी 

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