बुधवार, 25 जुलाई 2018

घर को भी वो महकाएं

कुछ मीठे सुनहरे पल
आकर ठहर गए दो घड़ी
मेरे घर की दहलीज़ पर
वो भीनी यादें लाकर इस
बारिश में सराबोर करेंगे
मैं भी भीगना चाहती हूँ
उन पलों को अपने आँचल में
समेटकर रखना चाहती हूँ
वो पल बहुमूल्य धरोहर हैं
जो बचपन से यौवन की
लम्बी दूरी तय करके आये हैं
उन पलों के लिए मैंने अपने
घर का दरवाज़ा खुला रखा है
पता नहीं कब वो भीतर आएँ
ठंडी हवा लायें और बारिश की
भीनी सौंधी सी खुशबु से
मेरे घर को भी वो महकाएं
@मीना गुलियानी 

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