सोमवार, 30 जुलाई 2018

उसे सामने मैं पाऊँ

मैं अपनी दुआओं में वो असर कहाँ से लाऊँ
जो दिल को तेरे लुभाए वो सदा कहाँ से लाऊँ

तू बेख़बर है मुझसे नाराज़ मैं नहीं हूँ
हूँ परेशां फिर भी तुझसे खफ़ा मैं नहीं हूँ
तेरे दीद की है हसरत तुझे कैसे मैं बुलाऊँ

तू किधर जा छिपा है दिल मेरा ढूँढता है
दे इक मुझे इशारा ये ज़माना पूछता है
जो नज़र से आज ओझल उसे सामने मैं पाऊँ
@मीना गुलियानी 

3 टिप्‍पणियां:

  1. वाह सुंदर तेरे दिल को जो लुभा दे वो अदा कहां से लाऊं।

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  2. जय DURGE दुर्गति परिहारिणी
    शुम्भ विदारिणी-मातु भवानी,
    आदि शक्ति पर ब्रह्म प्रभु की,जगत जननी CHAUN वेद बखानी,
    ब्रह्मानन्द शरण में आयो
    हम पर ध्यान धरो आराधिनी- अशोक-प्रस्तुति
    अरुण यह मधुमय देश हमारा
    जहाँ पहुंच अनजान क्षितिज को
    मिलता एक सहारा
    लघु सुरधनु से पंख पसारे
    शीतल मलय समीर सहारे
    उड़ते खग जिस ऑर मुंह किये
    समझ नीd निज प्यारा-JAI SHNKR PRSAD-COLLN-ASHOK

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