गुरुवार, 2 अगस्त 2018

माला भी मुरझाए

जाने काहे  बदरा  घिर आए
जिया मोरा कल नहीं पाए

सूना मोरा अँगना आये नहीं सजना
राह तकत  मोरी अखियाँ थक जाएँ

कासे कहूँ बैना सूने हैं दिन रैना
दिन उगे फिर दिन ये ढल जाए

सूनी मेरी वीणा संगीत के बिना
बाती मन की जले फिर बुझ जाए

छिप गए हैं तारे छाए अँधियारे
सपनों की माला भी मुरझाए
@मीना गुलियानी 

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