शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

जगमग चमकेंगे तारे

काला कौआ मुँडेर पे सुबह से बोले
सुनके काँव काँव जियरा मेरा डोले
शायद पिया का संदेशा वो ले आये
मनवा ख़ुशी से मेरा झूमे और गाये
काली कोयल जब भी कूक सुनाये
दिल को मेरे वो तो घायल कर जाए
अपनी मीठी  वाणी में बोल सुनाये
बतियाँ अपनी सारी वो कह जाए
खोलके अपनी खिड़की और चौबारे
आ बैठी हूँ राह में उनकी नैन पसारे
गगन चंदा तू भी ज़रा राह दिखाना
उनकी राहों से हम अब शूल बुहारें
आयेंगे जब लौटके वो पिया हमारे
गगन में तब जगमग चमकेंगे तारे
@मीना गुलियानी 

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