बुधवार, 8 अगस्त 2018

मेरी नैया पार की

स्वप्न सारे टूट गए
अपने सभी रूठ गए
बुझे गए चिराग सभी
तारे पीछे छूट गए

पर हम यहीं खड़े
राह पर रुके रुके
वक्त के उतार की
ढलान देखते रहे

कल तो सब बहार थी
खुशियाँ बेशुमार थीं
रौनके ही रौनके थीं
महफिलें थी प्यार की


बदल गया है वो समां
ख्वाब हो गया धुआँ
आसमाँ सुलग उठा
दिल मेरा बिलख उठा

नाव जब मंझधार थी
दिल ने इक पुकार की
पतवार तुमने थाम ली
मेरी नैया पार की
@मीना गुलियानी 

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