रविवार, 23 सितंबर 2018

कल फिर आये ना

तुमको कसम है मेरी दूर तुम जाओ ना
आओ बैठो पास मेरे ऐसे तरसाओ ना

कितने बरस के बाद दिन ऐसा आया
सपनों में तुमसे मिले फिर बने साया
आज की घड़ी को तुम यूँ ही गवाँओ ना

सोचा था दिल में सनम से होंगीं बातें
पता न था कितनी छोटी हैं मुलाकातें
बीता जाए ये लम्हा कल फिर आये ना
@मीना गुलियानी 

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