रविवार, 30 सितंबर 2018

कैसा वहशीपना ये आज है

ज़रा सामने तो आओ युवको समाज बर्बाद हुआ आज है
आँख खोलके ज़रा देख लो तेरे हाथों में भारत की लाज है

पहले तो लड़की बिकती थी पर आज पुरुष भी बिकते हैं
गरीब की लड़की पढ़ी लिखी हो किन्तु धनिक पर मरते हैं
धिक्कार जवानों तुम्हें आज है क्या मुर्दा तुम्हारी आवाज़ है

देखो ज़रा तुम देश में कैसा  दहेज का ये व्यवहार चला
घर घर में कोहराम मचा है किसी के घर चूल्हा न जला
कई जीवन हुए बर्बाद हैं घर टूटने की कगार पे आज हैं

वक्त है नाज़ुक सम्भल भी जाओ थामो इस रफ्तार को
दहेज प्रथा का कलंक मिटाओ बदलो ऐसे समाज को
इन बेटियों की लुट रही लाज है कैसा वहशीपना ये आज है
@मीना गुलियानी 

2 टिप्‍पणियां: