रविवार, 9 सितंबर 2018

क्यों करूँ ख़ुद की फ़िक्र

पी जायेंगे खुद अकेले ही
यह चुप्पी का ज़हर
न हमसे कभी पूछना
क्यों छलकी ये नज़र
जुबां पर न लायेंगे कभी
शिकवा ज़माने भर का
न बतायेंगे किसी को कभी
क्या है अपनी अब खबर
पहले कभी न किया था जिक्र
सुना है तू नहीं है बेख़बर
फिर क्यों करूँ ख़ुद की फ़िक्र
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी: