गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

गीत ख़ुशी के गाएँ

आज सूरज तपा नहीं सर्दी ने जकड़ा बदन
सुबह की सर्द हवा ने बढ़ाई दिल की धड़कन

ठण्ड में याद आया हमको फिर गर्मी का मौसम
न थी ठिठुरन न इतने लबादे ओढ़ते थे हम

अब तो पानी पीते भी याद आती है नानी
सुबह पानी से अच्छी लगती चाय बनानी

सुबह हमेशा नहाने को चाहिए गीज़र का पानी
उसके बिना तो  ऐसा लगता शामत पड़ी बुलानी

अच्छी लगती मक्की की रोटी साग और गुड़ धानी
पुआ पराँठे पीछे छोड़े चाहे मुँह से टपके पानी

बच्चे धमाचौकड़ी करते घर से बाहर जाकर
हमको खाट है अच्छी लगती और हमारा बिस्तर

गर्मा गर्म पकोड़े और मूँगफली इतनी मन को भाए
चाहे जितनी भी हम खाएँ मन भूखा ही रह जाए

अगर धूप निकल आये तो जाड़ा हम दूर भगाएँ
सबसे प्यारा लगे ये मौसम गीत ख़ुशी के गाएँ
@मीना गुलियानी 

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