गुरुवार, 21 मार्च 2019

गोपियन के संग रास रचाएँ

आसमां खुशियाँ मनाने लगा
गगन से बूँदें बरसाने लगा
धरा की भी चूनर लहराई
काली बदरिया घिरके आई
झूमने लगी यूँ डाली डाली
गाने लगी कोयलिया काली
ठण्डी मस्त चली पुरवाई
मेघों ने बारिश बरसाई
गोरी की गगरी छलकाई
छलकते पानी से भीगा तन
जाना गोरी ने आया फागुन
हाथों में उसने लिया गुलाल
कान्हा के ऊपर दिया डाल
कान्हा ने जो मारी पिचकारी
सुध बुध उसको बिसरी सारी
धीरे धीरे कान्हा मुरली बजाएँ
गोपियन  के संग रास रचाएँ
@मीना गुलियानी 

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