शुक्रवार, 28 जून 2019

रहबर मिल जाए

चाहत की अँधेरी गलियों में
चलने की तमन्ना क्यों छोड़ें
आगाज़ से भटके आलम में
मुमकिन है कि रहबर मिल जाए
@मीना गुलियानी 

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