जहाँ कहीं भी देखो सभी गुमसुम हैं
न जाने सबको किस बात की धुन है
हर तरफ यहाँ तन्हाई का आलम है
ऊपर से देखने पर हैं जज़्बाती
भीतर से वो सब हैं प्रतिघाती
सब चेहरे पर नकाब ओढ़े हुए
भीतर उनके ज़मीर हैं सोये हुए
हर तरफ सन्नाटा सा पसरा हुआ
आदमी आज शैतान सा बना हुआ
हिंसा का साम्राज्य सा छाया हुआ
शरीफ आदमी फिरे ख़ौफ़ खाया हुआ
उसके चेहरे का रंग है उड़ा हुआ
वो खुद के वतन में पराया हुआ
@मीना गुलियानी
न जाने सबको किस बात की धुन है
हर तरफ यहाँ तन्हाई का आलम है
ऊपर से देखने पर हैं जज़्बाती
भीतर से वो सब हैं प्रतिघाती
सब चेहरे पर नकाब ओढ़े हुए
भीतर उनके ज़मीर हैं सोये हुए
हर तरफ सन्नाटा सा पसरा हुआ
आदमी आज शैतान सा बना हुआ
हिंसा का साम्राज्य सा छाया हुआ
शरीफ आदमी फिरे ख़ौफ़ खाया हुआ
उसके चेहरे का रंग है उड़ा हुआ
वो खुद के वतन में पराया हुआ
@मीना गुलियानी
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