Meena's Diary
मंगलवार, 3 सितंबर 2019
तू निराशा है
ज़िन्दगी तेरा ये क्या तमाशा है
पल में तोला है पल में माशा है
इक पल तुझसे बँधती आशा है
दूजे ही पल बनती तू निराशा है
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें