भाषाएँ ग़ुम हो जाती हैं
जब हम दोनों मिलते हैं
खामोशी सी छा जाती है
पतझड़ में फूल खिलते हैं
आँखों में नशा छा जाता है
जब तू मेरे करीब आता है
लब हौले से मुस्काते हैं
मुँह से न कुछ कह पाते हैं
दो नैना जब टकराते हैं
बेचैनी दिल की बढ़ाते हैं
तब भाषा मूक हो जाती है
नैना ही सब हाल बताते हैं
@मीना गुलियानी
जब हम दोनों मिलते हैं
खामोशी सी छा जाती है
पतझड़ में फूल खिलते हैं
आँखों में नशा छा जाता है
जब तू मेरे करीब आता है
लब हौले से मुस्काते हैं
मुँह से न कुछ कह पाते हैं
दो नैना जब टकराते हैं
बेचैनी दिल की बढ़ाते हैं
तब भाषा मूक हो जाती है
नैना ही सब हाल बताते हैं
@मीना गुलियानी
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