क्यों तू मुँह छिपाए बैठा है
ऐसा कौन सा गुनाह हुआ
क्या किसी को धोखा दिया
फिर क्यों नज़रें चुराए बैठा है
चिलमन उठा पर्दे से निकल
राज़े दिल खोल हँसके बोल
ग़म ज़ाहिर कर न तू डर
क्यों मुँह लटकाए बैठा है
@मीना गुलियानी
ऐसा कौन सा गुनाह हुआ
क्या किसी को धोखा दिया
फिर क्यों नज़रें चुराए बैठा है
चिलमन उठा पर्दे से निकल
राज़े दिल खोल हँसके बोल
ग़म ज़ाहिर कर न तू डर
क्यों मुँह लटकाए बैठा है
@मीना गुलियानी
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