Meena's Diary
शनिवार, 19 अक्तूबर 2019
फिर आवागमन
ये न सोचो क्या होगा
हे मन तज दे व्यर्थ का चिंतन
भूल जा अपनी तू चतुराई
ले ले प्रभु की तू शरण
जग में वो ही तारणहार
घाट घाट पानी देखा
मिटी नहीं तृष्णा रेखा
वो ही पाले वो संभाले
करदे जीवन उसके हवाले
मिट जाए फिर आवागमन
@मीना गुलियानी
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