जाने वो लोग कहाँ चले गए
जिनसे दुनिया की रौनक थी
जो हर दिल को अज़ीज़ थे
जिनसे ये घर घर लगता था
जिनसे फ़िज़ा महकती थी
जिनसे महफिलें सजती थी
जो अपनी बातों से रिझाते थे
जो कलाम पढ़कर सुनाते थे
जो वफ़ा के नगमे गाते थे
उनके न होने से बेनूरी है
अब हरसू सन्नाटा पसरा है
काश वो दिन फिर लौट आएँ
@मीना गुलियानी
जिनसे दुनिया की रौनक थी
जो हर दिल को अज़ीज़ थे
जिनसे ये घर घर लगता था
जिनसे फ़िज़ा महकती थी
जिनसे महफिलें सजती थी
जो अपनी बातों से रिझाते थे
जो कलाम पढ़कर सुनाते थे
जो वफ़ा के नगमे गाते थे
उनके न होने से बेनूरी है
अब हरसू सन्नाटा पसरा है
काश वो दिन फिर लौट आएँ
@मीना गुलियानी
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