सोमवार, 28 अक्तूबर 2019

तड़फड़ाता है

त्यौहार बीतने पर जब
ये जमघट छंट जाता है
सब तरफ इक सन्नाटा
छाकर क्यों हमें डराता है
मन व्याकुल हो जाता है
दिल घायल हो जाता है
घर काटने को आता है
कटे पँख सा हो जाता है
पंछी फिर कैद हो जाता है
उड़ने को तड़फड़ाता है
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें