रविवार, 10 नवंबर 2019

गाएँ और मुस्काएँ

कल जो होगा वो देखा जाएगा
कल की चिंता तुम मत करो
आज तो अच्छी तरह गुज़ारो
आज फिर लौटकर न आयेगा
फिर कहीं तुम्हें पछताना न पड़े
इसलिए ये लम्हेँ हँसके गुज़ारो
तुम्हारे साथ हर पल सुहाना है
वरना मेरी ठोकर पे ज़माना है
वक्त हर पल में बदल जाता है
ये वक्त हर किसी को छलता है
कहीं फिर देर अन्धेर न हो जाए
इन्हीं लम्हों को खुशनुमा बनायें
आओ मिलके गाएँ और मुस्काएँ
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें