किसने मुझे पीछे से आवाज़ दी है
इस सन्नाटे में सिर्फ धुंध ही है
लेकिन तुम्हारी आवाज़ की खनक
मुझे दूर से ही सुनाई दे रही है
लगता है उन पर्वतों के पीछे से
दूर अमराईयों में पेड़ों के नीचे से
किसी आवाज़ की प्रतिध्वनि है
जो मुझे अपनी ओर खींच रही है
मैं एक कच्ची डोर सा लिपटा हुआ
खिंचता हुआ सा चला जा रहा हूँ
फ़िज़ा में सिर्फ उसकी गूँज ही
सबको हरसू सुनाई दे रही है
@मीना गुलियानी
इस सन्नाटे में सिर्फ धुंध ही है
लेकिन तुम्हारी आवाज़ की खनक
मुझे दूर से ही सुनाई दे रही है
लगता है उन पर्वतों के पीछे से
दूर अमराईयों में पेड़ों के नीचे से
किसी आवाज़ की प्रतिध्वनि है
जो मुझे अपनी ओर खींच रही है
मैं एक कच्ची डोर सा लिपटा हुआ
खिंचता हुआ सा चला जा रहा हूँ
फ़िज़ा में सिर्फ उसकी गूँज ही
सबको हरसू सुनाई दे रही है
@मीना गुलियानी
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