मंगलवार, 21 जनवरी 2020

बेवजह तो नहीं

तेरा यूँ मुँह को छिपाना
नज़रों का यूँ चुराना
पलकों की चिलमन को
उठाके गिराना उठाना
हौले हौले से मुस्कुराना
आँखों से शोखी टपकाना
जुल्फों का यूँ बिखराना
पल्लू को मुँह में दबाना
शरमा के छत पे जाना
सोचना बेवजह तो नहीं
 सबका सबब है कि नहीं
@मीना गुलियानी 

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