बुधवार, 1 जनवरी 2020

कुछ याद भी है

वक्त जैसा भी हो गुज़र ही जाता है
कुछ याद रहता है कुछ भूल जाता है
हसीन यादें दिल पे छाप छोड़ जाती हैं
वो गुज़रे पलों की हमें याद दिलाती हैं
भीगी हुई शाम और पूनम की वो रात
जहाँ जुल्फों के साये में थामा था हाथ
वो बिजली सी सिहरन कंपकपाते हाथ
सुहानी सी खुशबु और लरज़ते जज्बात
दिल में एक कसक सी उठती रहती है
तुम्हारी तस्वीर मुझसे बातें करती है
बताओ वो पल कैसे हम भूल पाएँ
वो गुज़रे पल काश फिर लौट आएँ
@मीना गुलियानी 

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