शनिवार, 21 मार्च 2020

कविता रचती है हमें

कविता रचती है हमें पायें रूप अभिराम
ले सहारा छन्दों का प्रयास करें सुबह शाम
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें