बुधवार, 15 अप्रैल 2020

दो किनारों की तरह

दो किनारों की तरह
जिंदगी ये बहने लगी
कहानी एक कहने लगी
ऐसा न जाने क्यों हुआ
ये दिल टुकड़ों में बँटा
एक दूसरे से जुदा वो
अलग अलग चलते रहे
आँखों में सपने उनके
पलते रहे मचलते रहे
जाने कब फासले मिटेंगे
कब दो किनारे मिलेंगे
 जिंदगी फिर मुस्कायेगी
गीत ये फिर गुनगुनायेगी
@मीना गुलियानी 

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