गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

मिल सके न हम

कितनी बहारें लिए आये तुम सनम
बड़ी बदनसीबी हुई मिल सके न हम
इस  तरफ जहाँ है उस तरफ हो तुम
सपने अधूरे को लिए सोच रहे हैं हम
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें