मंगलवार, 19 मई 2020

सपना सच या फ़साना -कहानी

पारुल ने देव से बहुत गर्मजोशी से मोहब्बत की थी।   वो उसे पागलपन की हद तक चाहती थी।   कालेज में उन दोनों के प्रेम के चर्चे बहुत मशहूर थे.  दोनों को ही हर जगह इकट्ठा देख सकते थे चाहे कहीं पिकनिक , गार्डन, फिल्म  या किसी कालेज की प्रतियोगिता में।   दोनों ही बढ़चढ़ कर सभी में हिस्सा लेते थे।   पारुल के काले काले घुँघराले बाल उसकी कमर पे बल खाते हुए चलते थे तो दिल पे आरी सी चलती थी।   देव भी बहुत ही सजीला लम्बे कद का नौजवान था।   सारे कालेज की लड़कियाँ उस पर दिलो जान न्यौछावर करने  को तैयार रहती थीं लेकिन वो भी  पारुल को ही चाहता था। 

 कहते हैं की इश्क दीवाना पागल बनाकर छोड़ता है तो बिल्कुल यही बात उन दोनों पर सच साबित होती थी। वो तो एक दूसरे के बिना एक पल भी अलग नहीं रहना चाहते थे।   पढ़ाई में भी दोनों अव्वल ही आते थे।   दोनों के परिवार अपने मोहल्ले में किसी पुरानी रियासत के राजकुमार से कम शानो शौकत की नहीं थी।   एक बार देव काफी स्पीड से अपनी गाड़ी चला रहा था तो उसकी टक्कर सामने  से आती हुई एक बाईक से हो गई उसे बचाने 
के लिए उसने कार को विपरीत दिशा में जब मोड़ने की कोशिश की तो कार बल खाती हुई डिवाईडर पर चढ़कर उलट गई।   देव तो बेहोश हो चुका था उसके साथियों ने ही उसे अस्पताल पहुँचाया।   अब उसकी टाँग में एक रॉड भी डालनी पड़ गई।   पारुल  फिर भी उससे मिलने उसके घर आ जाया करती थी।   देव को अब लगता था कि शायद वो अब पारुल जैसी सुन्दर लड़की के लायक नहीं रहा।  वो जब भी घर आती तो वो अपना मुँह फिरा देता था।   उसको टालने की कोशिश करता था ताकि पारुल को भी उससे नफरत हो जाए और वो किसी दूसरे से शादी कर ले।   एक बार तो उसने साफ़ शब्दों में उसे कह भी दिया कि मुझे छोड़कर तुम कहीं और अपना घर बसा लो। 

पारुल का मन टूट गया इन्हीं दिनों एक स्कूल से उसे टीचर की पोस्ट के लिए कॉल लैटर मिला तो उसने साक्षात्कार दिया और उसे नौकरी मिल गई।   अब वो अपने पैरों पर खड़ी हो गई।   देव भी धीरे धीरे कदम उठाने लगा था।   पारुल के घर वालों ने भी पारुल को कहा  कि हम तुम्हारी शादी कहीं  और तय कर देते हैं।   कब तक तुम उसी के इंतज़ार में रहोगी।  देव को उसके माता पिता ने इलाज के लिए अमरीका भेज दिया था जहाँ करीब पांच महीने बिताकर जब वो लौटा तो पहले जैसी ही हालत में आ चुका था यानि कि बिल्कुल स्वस्थ दिखता था।   अब इसे हम क्या कहेंगे कि देव के मन में पारुल के प्यार ने फिर से संगीत छेड़ दिया  और उधर से पारुल के भी रिश्ते की बात कहीं और चल रही थी।   देव ने पारुल को फोन पर कहा वो एक बार उससे मिलना चाहता है चाहे वो आखिरी बार ही उससे मिलने को आ जाए।  पारुल तो उसे भूल ही नहीं पाई थी वो तो एक बार में ही उसकी आवाज़ सुनकर उसके घर आ गई।   उनकी प्रीत फिर से जाग उठी।   देव ने अपनी गलती की उससे माफ़ी मांगी और उससे शादी करने की इच्छा जताई।   पारुल की भी रोते रोते आँखें सूज गईं देव ने उसे अपनी बाहों में कस लिया।   पारुल को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि कुछ महीने पहले जो देव ने उसे भूलने को बोला था।   क्या वो कोई सपना देख रही है या कोई हकीकत है।   उसने अपनी बाँह पर चिकोटी काटी तो लगा देव अब पहले जैसा ही हो गया है।   उसका प्यार बदला नहीं है।   पारुल के घर देव ने अपनी शादी का प्रस्ताव अपनी माता जी के द्वारा भेजा।   पारुल के घर वालों को कोई इंकार नहीं था।  अब तो पंडित जी से शुभ मुहूर्त निकलवाकर दोनों की शादी बहुत ही सादगी से हो गई।   पारुल और देव भी अभी तक यही सोच रहे थे कि उनका प्यार पहले फ़साना बना फिर दोनों ने सपने देखने शुरू किये और अब वो सपने हकीकत में बदल गए थे सच हो गए थे। 
@मीना गुलियानी 

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