सोमवार, 18 मई 2020

याद नहीं रहा - कहानी

यह घटना उस समय की है जब मेरे पोते की ड्रम क्लास की प्रयोगिक परीक्षा थी।   परीक्षा केन्द्र करीब 15 किलो मीटर की दूरी पर था।   हमें वहाँ 9 बजे पहुँचने के लिए कहा गया था। मैंने अपने पोते से कह दिया था कि सारा सामान जो भी लेकर जाना हो पूरा बैग में जमा लेना ताकि किसी तरह की परेशानी न हो।   सुबह वो अपने दादा जी के साथ अपने समय पर घर से रवाना हो गया।   परीक्षा हाल में सबका रोल नंबर पुकारा गया तो उसे याद आया कि जल्दी में रोल नंबर तो टेबल पर ही छूट गया है।   उसके दादा जी ने परीक्षा अधीक्षक से क्षमा मांगते हुए कहा कि इसकी परीक्षा 10 बजे के बैच में करवा दीजिए क्योंकि जल्दी में रोल नंबर और ड्रम स्टिक टेबल पर रह गई है जिसे मैं घर जाकर अभी , ले आऊँगा।   परीक्षा अधीक्षक ने कहा वापिस जल्दी आ जाना ले आओ।   अब तो दादा जी को घर पर आना पड़ा और ड्रम स्टिक तथा रोल नंबर दोनों उठाकर परीक्षा भवन समय के अनुसार पहुँच गए।   उनके पहुँचते ही पोते का रोल नंबर भी आए चुका था।   अब उसने वो परीक्षा दी और अच्छे नंबर से उत्तीर्ण हुआ।

घर पर  लौटकर दादा जी ने उसे प्यार से समझाया कि इन छोटी छोटी बातों का जीवन में बहुत महत्व होता है। इसलिए आगे से कभी इस तरह की गलती मत करना।   अब तो काफी समझदार हो गया है।   उस दिन से उसने भी सबक लिया कि परीक्षा के दिनों में रोल नंबर, ज्योमैट्री बॉक्स ,पैन , पेन्सिल ,रबर आदि रात को ही बैग में जमा लेने चाहिए ताकि सुबह समय पर पहुँचा जा सके और फिर यह नहीं कहना पड़े कि 'याद नहीं रहा। '
@मीना गुलियानी 

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