गुरुवार, 14 मई 2020

गर्मियों के दिन -कहानी

गर्मियों के दिन थे पिछले साल की ही तो बात है।   हम सब घूमने नैनीताल गए थे।   यह सब भी अचानक ही पोते की जिद की वजह से प्रोग्राम बना।   अपनी एक गाड़ी बुक करवा ली और सुबह ही चाय पीकर सब रवाना हो गए।   पहले सबने हरिद्वार जाने का विचार बनाया तो सबकी इच्छा हुई कि गाड़ी तो है ही क्या दिक्क्त है पहले वहाँ चलते हैं।   अब दोपहर में गाड़ी को खाना खाने के लिए रोका।   बहुत ही अच्छा सा एक मिडवे का रेस्ट हाऊस था।    सबने अपनी पसंद का मेन्यू के अनुसार खाने का ऑर्डर दिया।   बीस मिनट में सबका खाना लग गया।   पोते को दही चावल और जीरे के आलू पसंद हैं।   उसने अपने लिए वही मंगवाया था।   मुझे तो मखनी दाल और पनीर बहुत पसंद है।  मैंने अपने लिए उसी को मंगवाया था।   बाकी तो सबने एक दूसरे से शेयर कर लिया था दो थाली अलग से मंगवाई।   खाना बहुत ही लाजवाब था।   हमने खूब मजे से चटखारे लेकर खाया। गर्मियों के दिन थे तो आईसक्रीम के बिना तो खाने का स्वाद अधूरा रह जाता।  सबने अपनी पसंद की आईसक्रीम मंगवाई।  फिर हमने वहाँ रात को रुकने का विचार बनाया।   पहले हमने एक गेस्ट हाऊस में कमरा बुक करवाया उसमें कूलर और ए सी दोनों मौजूद थे।  अपनी सुविधा के अनुसार हम उपयोग में ले सकते थे। शाम के समय हर की पौड़ी पर गंगा की आरती देखने का अलग ही मज़ा है तो सब वहाँ गंगा की आरती देखने हर की पौड़ी गए।   पहले स्नान किया फिर आरती के दर्शन किए।   बहुत ही जनता की भीड़ उमड़ पड़ी।  बहुत ही सुंदर आरती का नज़ारा था जिसे मेरे पोते ने अपने कैमरे में कैद कर लिया उसने सबके नहाते हुए का वीडियो भी बनाया था।  आरती के बाद हमने रात का खाना चोटी वाला हलवाई जो वहाँ बहुत मशहूर है उसके यहाँ पर खाया।   खाना खाकर थोड़ा बाज़ार घूमे छोटा मोटा लकड़ी का सामान और तांबे का लोटा खरीदा।   वहाँ पर रुद्राक्ष की एक माला भी एक हैंडीक्राफ्ट सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त शो रूम से  खरीदी।   अब बहू को एक स्वैटर पसंद आई तो उसे भी खरीदा।   अब गैस्ट हाऊस में लौट आये। 

सुबह जल्दी उठकर फिर से गंगा स्नान करके नैनीताल जाने को तैयार हो गए।    हल्की हल्की ठण्ड महसूस होने लगी।   खाने के समय तक हमने नैनीताल पहुँचकर ही पहले गैस्ट हाऊस में कमरा बुक करवाया और फिर उसी में खाना भी खाया।   तब तक सबके पेट में चूहे उछलने लगे थे।   भूख बहुत ज़ोर से लग रही थी इसलिए चार थाली मंगवा ली और सबने शेयर करके खाया।  पहाड़ी पर स्नोफॉल का नज़ारा  अच्छा था।  वहाँ काफी टूरिस्ट भी आये हुए थे।   सबने मिलकर स्नोफाल का आनन्द उठाया।   बहू  और पोते ने तो घुड़सवारी भी की। वापिस लौटने पर बूँदाबाँदी होने लग गई थी।   सारा दृश्य कैमरे में कैद किया।  अचानक ही पहाड़ी से बर्फ के बड़े बड़े टुकड़े सड़क पर गिरे जिसके कारण दो घंटे तक रास्ता जाम हो गया। 

अब शाम होने को आई सूर्यास्त का नज़ारा पहाड़ी से सुंदर प्रतीत हो रहा था। अब रास्ते की बर्फ भी मशीनों द्वारा हटाई जा चुकी थी।   फिर हम गैस्ट हाऊस लौट आए।   इस तरह हमने नैनीताल में आसपास के मैदान झरने देखे खूब लुत्फ़ उठाया।   फिर रात का खाना खाकर वहाँ के बाज़ार में टहलने को निकल पड़े।   गर्म कपड़ों का बाज़ार लगा हुआ था।  पोते के लिए एक फर वाली टोपी खरीदी और एक जैकेट ली।   घूमकर आने पर बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गई क्योंकि दिन भर में थक गए थे।

सुबह उठकर वापिस जयपुर आने को तैयारी करने लगे।   उसी गैस्ट हाऊस में नाश्ता किया और चल पड़े। रास्ते में एक मिडवे रैस्ट हाऊस में सबने खाना खाया।   लस्सी पी और आईसक्रीम खाई।   खाना खाने के बाद थोड़ी देर के बाद गाड़ी में आगे की यात्रा वापसी के लिए चल पड़े। सबको यह यात्रा कभी नहीं भूल सकती क्योंकि सबने वहाँ की ख़ूबसूरती को अपनी आँखों से निहारा था। प्रकृति के नज़ारे बहुत ही मनोहारी  थे।   रात को अपने घर पर पहुंच गए।   पोते के स्कूल में  गर्मी की भी छुट्टियाँ थी तो वहाँ इस बहाने पूरा परिवार ही नैनीताल और हरिद्वार की यात्रा भी करके आ गया। 
@मीना गुलियानी 

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