गुरुवार, 14 मई 2020

प्रेम सुधा इतनी बरसा दो

आज तुम फिर अपने प्यार से
मेरी बगिया को महका दो
खिल जाएँ सब फूल यहाँ के
प्रेम सुधा इतनी बरसा दो

तन मन मोरा महक भी जाए
प्रेम का रस उस पर टपका दो
दिल का कोई कोना रहे न रीता
अमृत की बूँदें तुम ढलका दो

हो जाए ये धरा भी आनन्दित
गीत मधुर कोई ऐसा गा दो
हों खगवृन्द भी दीवानों से
दो घूँट इनको भी पिला दो
@मीना गुलियानी 

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