बुधवार, 27 मई 2020

अपना ख्याल रखना -कहानी

राजेश के लिए उसके गुड़गाँव हैड ऑफिस से मैनेजिंग डायरेक्टर का फोन आया कि इस सोमवार से ही उसे इन्दौर वापिस जाना होगा अपनी ऑफिस में जाकर ड्यूटी सम्भालने के लिए।   अभी तक तो वह अपने घर लॉकडाउन से पहले ही आया हुआ था।  उसके आते ही दो दिन के बाद से लॉकडाउन हो गया था।  तबसे ही राजेश अपने ऑफिस का काम घर से ही निपटा रहा था।   सारे पत्र व्यवहार सब घर में ही अपने लैपटॉप के द्वारा कर रहा था।   इन्दौर में वो डिप्टी मैनेजर की पोस्ट पर काम कर रहा था।    जयपुर में राजेश की बूढ़ी माँ , पत्नी और एक प्यारा सा बेटा रहता है जिनसे मिलने वो महीने में समय मिलने पर एक दो चक्कर लगा लेता था।  अब करीब डेढ़ माह से वो जयपुर से ही ऑफिस का काम देख रहा था क्योकि कोई भी फ्लाइट या ट्रेन इन्दौर के लिए अभी उपलब्ध नहीं थी।  अब तो उसे वापिस जाना ही था क्योंकि लॉक डाउन भी समाप्त हो चुका था और बॉस का फोन भी आ चुका था।   

उसने अपना जरूरी सामान और कुछ कपड़े आदि बैग में रखे और नीतू अपनी पत्नी से कहा सुबह 6 बजे की फ्लाइट से रवाना हो जाऊँगा।  मुझे घर से तो 5 बजे कैब से एयरोड्रम जाना होगा।  सुबह राजेश अपने समय के अनुसार उठ गया।   नीतू ने भी उसका हल्का फुल्का नाश्ता बना दिया था वो उसने खाया और कैब लेकर रवाना हो गया।  बेटा अभी सो रहा था  और नीतू बाहर दरवाजे तक छोड़ने आई थी। उसने राजेश को जाने से पहले ही कई हिदायतें भी दीं थीं।   6 मास्क सेनेटाइजर भी रख दिए थे।    कुछ भी बाहर से मत खाना ऐसा अनुरोध भी किया था।   लॉकडाउन के दौरान थोड़ा बहुत खाना उसने घर पर खुद बनाना भी सीख लिया था। यही सब उसके लिए अच्छी बात थी कि बाज़ार के खाने से बच सकता था।   

अब वो इन्दौर पहुँच चुका था ऑफिस की गाडी लेने के लिए आई थी।  उसमें बैठकर वो सीधा ऑफिस पहुँचा। सारे ही लोग एक दूसरे से काफी दिनों बाद मिल रहे थे।  सबके चेहरों पर ख़ुशी के भाव थे पर कोई भी शेक हेंड नहीं कर रहे थे।   करोना की वजह से सभी सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाये हुए थे।  राजेश ने अपने केबिन में प्रवेश किया।   उसके कक्ष में खूब फाईल इकठ्ठी हो चुकी थीं।   धीरे धीरे उनको निपटाना शुरू किया।   लंच टाईम तक 15 फ़ाइल निपटा चुका था।   अब सब लोगों ने खाना खाया।  राजेश का खाना तो उसकी पत्नी ने पैक करके दिया था।  उसने वो खा लिया फिर एक कॉफ़ी पी फिर वापिस अपने काम में जुट गया। 

पूरा स्टॉफ उसकी कार्यशैली से प्रभावित था।   ऑफिस वाले बड़े सम्मान की दृष्टि से उसे देखते थे। राजेश की पत्नी ने सुबह से तीन चार बार उसका हाल चाल पूछने के लिए और अपना ध्यान रखने को बोला।   उसने बोला मुझे पता है कि तुम बिलकुल आराम नहीं करते हो।   इसलिए ही मुझे तुम्हारी  चिंता है।   काम के साथ आराम भी जरूरी है।  जयपुर में तो मैं तुम्हें देख लेती थी वहाँ तो अपना ख्याल खुद ही रखना होगा।  समय पर खाना खा लेना।   मास्क लगाकर ही किसी से बात करना इत्यादि सारी  हिदायतें फोन पर दे डालीं।   राजेश ने कहा -तुम आराम करो मैं पूरा ध्यान रखूँगा। पति पत्नी का संबंध ही कुछ ऐसा भगवान ने बनाया है कि दोनों एक दूसरे के  बिना नहीं रह सकते पर विपरीत परिस्थितियों में दूर बैठे बैठे ही उनका ध्यान एक दूसरे की सुरक्षा पर केन्द्रित रहता है। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वो सबको खुशहाल रखे और इस महामारी से सबको बचाए। 
@मीना गुलियानी 

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