गुरुवार, 14 मई 2020

जिंदगी

कल जिंदगी की झलक देखी
 मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी
मैंने उसे ढूँढा था यहाँ वहाँ
वो हँसकर गुनगुना रही थी

                   कितने समय बाद पाया मैंने भी करार
                   कितने प्यार से मुझे थपथपा रही थी
                   क्यों खफ़ा रहते हैं सबब बतला रही थी
                    जिंदगी दर्द देके जीना सिखा रही थी

चोट खाके भी मुस्कुराना पड़ेगा
रोते रोते भी हमें गाना पड़ेगा
हँसी का नाम ही तो जिंदगी है
जीने का सलीका सिखा रही थी
@मीना गुलियानी 

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