रे मन तो क्यों अधीर अब होता
तेरे अंत:करण में बहता जीवन का सोता
निज चेतना जागृत कर
तू काहे निद्रा में सोता
उठ जाग त्याग भ्रम जाल
मत रह इनमें खोता
माया है कपट की चेरी
फंसकर जीवन तू खोता
@मीना गुलियानी
तेरे अंत:करण में बहता जीवन का सोता
निज चेतना जागृत कर
तू काहे निद्रा में सोता
उठ जाग त्याग भ्रम जाल
मत रह इनमें खोता
माया है कपट की चेरी
फंसकर जीवन तू खोता
@मीना गुलियानी
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