गुरुवार, 17 सितंबर 2020

कबीर जी का भजन

कबीर जी का भजन  

मन लागयो मेरो यार फकीरी में 


जो सुख पायो नाम भजन में सो सुख नाहीं अमीरी में 


भला बुरा सबको सुन लीजे , करि गुजरान गरीबी में 


प्रेम  नगर में रहनी हमारी , भलि बनी आई सबूरी में 


हाथ में कुडी बगल में सोटा , चारों दिशा जागीरी में 


आखिर ये तन ख़ाक मिलेगा ,काहे फिरत मगरूरी में 


कहत कबीर सुनो भई  साधो ,साहिब मिले सबूरी में 



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