मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

,कीका,

आज मेरे पोते के पाँव ख़ुशी के मारे  जमीन पर न पड़ रहे थे जिसकी वजह घर पर सबने उसको बहुत समझाया था 

लेकिन तो अपनी डिमांड से पीछे नहीं हट रहा था कि मुझे एक ब्रीड वाला कुत्ता चाहिए।  ऐसा नहीं कि कुत्ते कभी पाले नहीं लेकिन महामारी भी फैली हुई है ये सोचकर भी हम थोड़ा सा देर से दिलाना चाहते थे।  कुत्ते का प्रसंग जुबां पर आते ही वो बहुत खुश हो जाता था। कोई और बात चल रही होती तो अपने आप कमरे से बाहर नज़र आता था। जबसे लॉक डाउन शुरू हुआ था तबसे उसने कुत्ता पालने की जिद पकड़ रखी थी।  उसने तो नाम भी सोच रखे थे जैसे ब्रूनो ,लुई , जेज ,किड ,लाडो रॉकी ,कीका,आदि।  


आज वो शुभ घड़ी आ गई उसकी आंखे बंद थी आँखें खुलते ही जैसे उसने कीका को अपने कमरे में देखा खुश होकर वो उससे लिपट गया कीका नाम भी उसी ने सुझाया।  एक ही दिन में कीका ने सबका मन जीत लिया अभी वो मात्र २६ दिवस का ही कुत्ता था लेकिन उससे पालना स्वीकार कर लिया।अपने सारे दोस्तों से भी उसको मिलवाया।  छोटे गेम भी खिलवाये गए।  जेसे बॉल पकड़कर लाना गाजर सूंघना फिर पकड़कर लाना।  उससे भी गेम में मज़ा आने लगा सभी बच्चे उसके भी दोस्त बन गए।  कीका तो आज हीरो बन गया था। वो तो प्यार करना चाहता था। उसके पंजे के नाख़ून बड़े थे डाक्टर से पूछकर कटवाने भी थे।  हल्की फुल्की खरोंच किसी को लग जाती थी। सब बच्चो  को समझा दिया था अभी इसके पास ज्यादा मत जाना दूर से ही हल्का प्यार करना।  


जब कीका सब बाते समझा जाता और बच्चे भी समझ जाते थे तो उसे ट्रीट मिलती थी जो कि इसका स्पेशल भोजन था वो दिया जाता था इना की ममी की ममी की ममी म के तोर पर दिया जाता था। कीका भी उसको पाकर गोळ गोळ घूमने लगता था। सबसे अच्छी बात यह लगी कि उसका खाने का बॉक्स जिसमे दो स्टील के कटोरे थे एक उसका बेडिंग भी लेकर आये।  दस दिन के बाद उसका वेक्सिनेशन होना था।  अभी तो नेरोलेक देते थे फिर गाजर का टुकड़ा उससे वो खेलता था।  अपनी खाने की कटोरे उसकी पहचान में आ चुके थे।  उसको हम कहते थे कीका फ़ूड ले लो वो दौड़ता हुआ आ जाता था। अजब समझ थी उसकी भी कि अपने तो तो बिस्तर तो गीला नहीं करता था बिस्तर से कूदकर बाहर निकल  कूँ कूँ करने लगता था उसी समय उसे बाहर ले जाते थे या गैलरी में तब वो सुसु /पोटी करता था। इस उम्र भी इतनी समझ भी लाजवाब थी। धीरे धीरे हेडशेक करना सीख गया था।   सबको पहचानने लगा था उसे कहते ममी पास जाओ तो नेशू  की ममी के पास खड़ा हो जाता था उनके पास जाकर हाथ पैर चाटने लगता था। पापा कहते ही पापा के पाास दौड़कर चला जाता तथा वो उसके कानो के पास गर्दन के पास सहलाते थे वो भी बड़े मजे से उनके पैरों के पास पड़ा रहता था। प्रेम की अनुभूति तो जानवर भी करते हैं। 

 आज वेक्सिनेशन का  वो डाक्टर के पास  घबरा गया था जब उसके हाथ  सुई देखी तो बेटे ने डाक्टर की सुरक्षा का भी ध्यान रखते हुए उसको अपने साथ सटा  लिया कीका के सर पर धीरे धीरे हाथ फेरते गए तकि ज्यादा शोर न मचाये फिर भी इजेक्शन के वक्त तो वो जोर से चिल्लाया फिर उसको खूब प्यार किया बहुत पुचकारा धीरे धीरे वो जाके नार्मल हुआ हमें तो यह डर भी लग रहा था कि डाक्टर को ही न कहीं  सुई चुभ न जाए।  अब खतरा टल गया था कीका डाक्टर को घूरे जा रहा था क्योंकि उन्होंने सुई लगाई थी।  अब वो घर जाने के लिए गोद में  भी मचल रहा था।  डाक्टर से जरूरी हिदायतें समझकर हम लोट आये। 


घर पर आकर उस दिन थोड़ा गुमसुम सा वो पड़ा रहा।  जाहिर सी बात है की इतना बड़ा इंजेक्शन लगवा कर जो आया था।  उस दिन घर आकर खाना भी कम ही खाया था। शाम होने पर वो सब कुछ भूल गया था फिर बच्चो के साथ खेलने लगा। अब धीरे धीरे उसने गले में पट्टा पहनना सीख लिया।  अब वो पट्टा पहनकर घर से बाहर जाता था एक पतली जंजीर भी नेशु के हाथ में होती थी।  अब रोज़ इसी तरह हँसते खेलते वक्त कट रहा था घर पर एक सदस्य बढ़ गया था जो सबका प्यारा था। 

@मीना गुलियानी 

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