शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

तर्ज वो जब याद आए



तेरे दर पे आऊँ फूल चढाऊँ 

सूने मन के आँगन ने दीव जलाऊँ 


दिल ने सजदे किये आँसुओ को लिए 

दे दो दीदार तुम क्यों हो रूठे हुए 

कभी कभी सोचूँ हुई क्या खतायें 

किस बात पर हमको दी हैं सजाएँ 


तेरे नाम का मतवाला दिल हो गया 

मैं टी बेखुदी में जाने क्यों खो गया 

चरणों में रख्कर सर अपने को 

कभी तो तरस खाओ कभी मुस्कुराओ 


अब रूठोगे तुम हमसे वादा करो 

माफ़ करदो हमे अब न रूठा करो 

दिल को तसल्ली मिलेगी तबही 

हाथ तेरा नेरे सर और आए 

@मीना गुलियानी  

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