गुरुवार, 18 मार्च 2021

तर्ज - कीर्तन

 शेरों वाली मैया आके दर्श दिखादे 

नैनो की आके मेरी प्यास बुझा दे 


पांडवों ने मैया तेरा भवन बनाया 

अकबर ने आके तेरी जोत  को बुझाया 

अकबर को आके मैया ज्ञान सिखा दे 


दूर से चलके तेरे दर पे आएँ 

अष्टमी के दिन मैया जोत को जलाएँ 

बिगड़ी तकदीर मैया आके बना दे 


इक पल मैया न में तुझको बिसारूँ 

तेरा दर छोड़ माता किसको पुकारूँ 

दुखो भक्तों के आके दुखड़े मिटादे 


दर  तेरे आया मैया बनके भिखारी 

दर्श की भिक्षा देदो हे शेरों वाली 

दिल में प्रेम वाली जोत जगा दे 



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