शनिवार, 25 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-133 (Gurudev Ke Bhajan133)




बाबा जी तेरी दर्श दीवानी जाने  कब तेरा दर्शन होए 

दर्श की प्यासी अखियां बरसे जैसे बदरिया होए 
दिल डूबा है बीच भंवर में पार उतारे कोए 

आवन कह गए अजहू न आये कब देखूँगी तोहे 
बाबा जी मोरे बेग पधारो रैन गवाई रोये 

निशदिन तोरी बाट निहारूँ किस विधि दर्शन होए 
कैसे तुम्हरे दर पर आऊं पंथ बताओ मोहे 

काम क्रोध मद लोभ ने जकड़ा कैसे भावू तोये 
नाथ मेरे भव बंधन काटो पार उतारो मोये 


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