सोमवार, 27 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-148 (Gurudev Ke Bhajan148)




चिट्ठी बाबा दे भवन तो आई खोल के पढ़ा लै भगता 
बाबा कीती अज तेरी सुणाई  छेती छेती आजा भगता 

अमृत वेला होया सुते मना जाग तू 
जागके जगा ले अपणे सुते होए भाग नू 
तैनू बाबा ने आवाज़ लगाई दर्शन पाले भगता 

भुल बक्शा ले जो वी होए कसूर ने 
बाबा जी बक्श देवन सारे कसूर ने 
बाबा सदा तेरे होवणगे  सहाई भुल बक्शा लै भगता 

ज्ञान तैनू मिलेगा तू कर विश्वास नू 
सिर हत्थ रखण करन पूरी तेरी आस नू 
हुन जगेगा नसीब सुता तेरा सिर  नू झुका लै भगता 


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