शुक्रवार, 1 मई 2015

गुरुदेव के भजन-176 (Gurudev Ke Bhajan176)



बाबा जी मुझे अपनी तुम शरण में ले लेना 
जग का ठुकराया हूँ तुम न ठुकरा देना 

कर्मों के बंधन से हूँ बहुत मै घबराया 
अब मझपे दया करके करना सुख की छाया 
विषयों ने लूटा है अज्ञान मिटा देना 

हूँ बहुत ही अज्ञानी पापों ने घेरा है 
अब तो काटो बाबा चौरासी का घेरा है 
पापों का नाश करो मुझे पार लगा देना 

जब जीवन तुमने दिया क्यों न सत्कर्म करूँ 
पाँचों शत्रु जीतूं तेरे नाम की माला जपूँ 
हे नाथ तेरा आधार मुझे मोक्ष दिला देना 

हो तुम ही मात पिता मै बालक तेरा हूँ 
क्यों तुमसे जुदा होकर मै हरदम रोता रहूँ 
मुझे पास बुलाकर तुम ममता को लुटा देना 


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