मंगलवार, 26 मई 2015

20 माता की भेंट 20



मुझे  आस तेरी मैया न निराश मुझे करना 
सब कष्ट हरो मेरे आँचल की छाँव करना 

मेरे मन के द्वारे में आ करलो बसेरा माँ 
तेरी जोत जगे मन में हो दूर अँधेरा माँ 
मै आया शरण तेरी मुझे दर्श दिखा देना 

मेरी आस का बंधन कहीं  टूट न जाये 
क्या साँस का भरोसा पल आये कि न आये 
मेरे नैन प्यासे है मेरी प्यास बुझा देना 

सब देख लिया जग को माँ कोई नही अपना 
सब झूठे नाते है जग सारा इक सपना 
मै भटका राही हूँ तू नज़रे कर्म करना 

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