मंगलवार, 26 मई 2015

21 माता की भेंट 21

गम न कर मुस्कुरा दिल दीवाने मैया सबदे दिल दियां जाने 
जय माँ जय माँ जय माँ बोल जय माँ जय माँ जय माँ  बोल 

तेरे द्वारे जो वि आ गया मंगिया मुरादा ओ पा गया 
खाली दर तो न कोई जावे माया सबदी आस पुजावे 

अकबर कटके नहर ल्याया तेरी जोता ते पाणी पाया 
जोत फिर वि रही तेरी जगदी आके फिर ओ पया तेरी शरणी 

मै गुनहगार मेरे  बक्श दो गुनाह अपने चरना च दे दो पनाह 
जो वि शरणी माँ तेरी आवे तेथो खाली मुड़के न जावे 

इक वार तू वि जयकारा बोल दे मन दी कुण्डी तू खोल दे 
फिर देख तू उसदा नज़ारा चढ़ जायेगा पर्वत सारा 


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