बाबा शरण में रख लो तुम न दूर हमें करना
हम जग के है ठुकराये प्यार हमें करना
तुम बहुत दयालु हो बाबा ममता लुटाते हो
आया जो दर तेरे दुःख दूर हटाते हो
करुणा का सागर हो सिर हाथ मेरे धरना
सुना तेरे दर से बाबा न खाली जाता
आशा जो लेके आता मनवांछित फल पाता
खाली है मेरी झोली भक्ति से तुम भरना
डगमग करती नैया बाबा तेरे हवाले है
आऊँ द्वार पे मै कैसे पैरों में छाले है
मेरे घाव बड़े गहरे मरहम से तुम भरना
न तुम सा कोई ज्ञानी न कोई और मेरा
तुम पर है भरोसा मुझे इक तू ही सहारा मेरा
दर छोड़ कहाँ जाऊँ मेरी बांह तुम पकड़ना
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