गुरुवार, 14 मई 2015

गुरुदेव के भजन-285 (Gurudev Ke Bhajan 285)




संसार है ये इक नदिया न मिलता यहाँ किनारा 
जिसको है भरोसा तुझ पर पा जाता वही किनारा 

खाए नैया मेरी हिचकोले डगमग डगमग ये डोले 
बाबा आकर तुम्ही बचाओ विश्वास न मेरा डोले 
तेरी कृपा से बदला हे मेरा जीवन ये सारा 

तू हाथ सिर पे रखदे तकदीर बदल दे मेरी 
तेरे कदमो की धूलि से तदबीर ये बदली मेरी 
मेरा जीवन धन्य हुआ है मिला द्वार मुझे जो तुम्हारा 

भूलों को बिसरा देना मुझको न तुम बिसराना 
तुम जो ठुकरा दोगे तो कहाँ मिलेगा मुझको ठिकाना 
इस जहाँ में मैने ढूंढा न तुमसे मीत  हमारा 



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