गुरुवार, 14 मई 2015

गुरुदेव के भजन-287 (Gurudev Ke Bhajan 287)




मेरा मन बाबा खाए हिचकोले नैया मेरी डगमग डोले 
वो तो बीच फंसी मंझधार में पार लगाने आ जाना 

तुम बिन मेरा कोई न बाबा किसको आज पुकारूँ 
तेरे बिना मेरी कौन सुनेगा किसकी बाट निहारू 
मै तो कबसे खड़ी तेरी आस लिए तेरा रस्ता रही निहार रे 
 पार लगाने आ जाना 

अखियाँ मेरी तरसे बाबा दर्शन आज दिखादो 
कौन गली में तुम छिप बैठे मुझको पता बतादो 
क्यों रूठ गए हम द्वार खड़े नयनो से भी जलधार रे 
 पार लगाने आ जाना 

माफ़ करो बाबा गलती मेरी भूले मेरी बिसरा दो 
न बोलो तो प्राण भी हर लो ऐसी तो न सज़ा दो 
रूठके हमसे बैठोगे कब तक पंथ रहा मै निहार रे 
 पार लगाने आ जाना 


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