सोमवार, 18 मई 2015

गुरुदेव के भजन 325 (Gurudev Ke Bhajan 325)



तर्ज -------साँझ भई घर आ जा रे 

साँझ भई घर आ जा रे बाबा साँझ भई घर आ जा रे 
तुम्हरे दरस को तरसे ये नैना अब तो दरस दिखाजा रे 

तुम बिन कल नही पावत जियरा 
तड़पत निशदिन समझत नही जियरा 
अब तो इसे समझा जा रे ----------------- बाबा साँझ भई घर आ जा रे 

कैसे मै भेजूं तुमको पाती 
आंसू के कारण लिख न पाती 
दिल को धीर बंधा जा रे ------------------- बाबा साँझ भई घर आ जा रे 

जल्दी से  आओ बाबा प्यारे 
नैनो के दीपक तक तक हरे 
अब तो दर्श दिखा जा रे -------------------- बाबा साँझ भई घर आ जा रे 


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