तर्ज -------साँझ भई घर आ जा रे
साँझ भई घर आ जा रे बाबा साँझ भई घर आ जा रे
तुम्हरे दरस को तरसे ये नैना अब तो दरस दिखाजा रे
तुम बिन कल नही पावत जियरा
तड़पत निशदिन समझत नही जियरा
अब तो इसे समझा जा रे ----------------- बाबा साँझ भई घर आ जा रे
कैसे मै भेजूं तुमको पाती
आंसू के कारण लिख न पाती
दिल को धीर बंधा जा रे ------------------- बाबा साँझ भई घर आ जा रे
जल्दी से आओ बाबा प्यारे
नैनो के दीपक तक तक हरे
अब तो दर्श दिखा जा रे -------------------- बाबा साँझ भई घर आ जा रे
________________________________________
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें