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शुक्रवार, 22 मई 2015

गुरुदेव के भजन 385 (Gurudev Ke Bhajan 385)



रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल 
रे मनवा आसन से मत डोल 

अनहद नाद चले मन भीतर 
डम डम बाजे ढोल रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल

गुरु जी ने लीला अजब रचाई 
नाम पिलाया घोल रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल

तेरे रंग में रंग गई बाबा 
रे मन अब न डोल रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल

चरणो में मुझे स्थान मिला है 
हीरा मिला अनमोल रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल

जीवन मेरा सफल हुआ है 
सच्चा पाया मोल रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल


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