अबकी बार उबारो, गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो
मै अन्जान कछु नही जानू
मुझको तुम न बिसारो गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो
मै मतिमूढ़ दिग्भ्रमित फिरत हूँ
तुम मोरो पंथ सुधारो गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो
कितनी बेर पुकारा तुमको
अब तुम मोहे पुकारो गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो
दर्श की प्यासी दुखी मोरी अखियां
अब इस ओर निहारो गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो
देखें बिन मोहे कल न परत है
अब सुध लें पधारो गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो
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