सोमवार, 18 मई 2015

गुरुदेव के भजन 320 (Gurudev Ke Bhajan 320)



अबकी बार उबारो, गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो 

मै अन्जान कछु नही जानू 
मुझको तुम न बिसारो  गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो 

मै मतिमूढ़ दिग्भ्रमित फिरत हूँ 
तुम मोरो पंथ सुधारो  गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो 

कितनी बेर पुकारा तुमको
 अब तुम मोहे पुकारो  गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो 

दर्श की प्यासी दुखी मोरी अखियां 
अब इस ओर निहारो  गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो 

देखें बिन मोहे कल न परत है 
अब सुध लें पधारो  गुरूजी मुझे , अबकी बार उबारो 


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